शनिवार, 17 मार्च 2012

किसको खुदा और किसको तुम भगवान कहते हो ??


कभी हिन्दू तो कभी खुद को मुसलमान  कहते हो
जो कुछ बोलता नही उसे खुदा तो कभी तुम्ही भगवान कहते हो ?

जो खून से खेलता  है उसे तुम हैवान कहते हो
तो फिर किस वजेह से खुद को तुम इन्सान कहते हो ?

किसी पत्थर का कोई धर्म नही होता ,
चाहो शिव मान कर पूजा कर लो या फिर इसे मस्जिद के गुम्बद पे लगा दो ,

मरने के बाद किसी को  स्वर्ग और जन्नत में भेजने वालों
क्यूँ कहते हो कि लाश को  दफना दो या फिर आग    लगा दो  ?

खाने को तो  कसमे खाई जाती हैं इमां के सौदे में भी तो
आखिर किस ईमान को तुम मुकम्मल   ईमान कहते हो ?

बे वजह  कि उलझनों में  उलझ के रहते हो  खुद यहा
और इसे धर्म के नाम पर दिया गया इम्तिहान कहते हो  ,

जो खुद ही खुदा है  और  जो भगवान है खुद ही
उसकी  रखवाली   में  आखिर क्यूँ खुद को परेशान कहते हो ?

सरहदों में बाँटना है तो सर उठा के देख लो ऊपर
और इसे बाँटो जिसे तुम आसमान कहते हो  ,

एक दिन कहा था आकर के भगवान ने मुझसे    ' ऐ राजीव' !
"  उसे रोटी -  कपडा दो जिसे तुम  भूखा-नंगा इन्सान कहते हो .

 बताओ प्रेम से " हिन्दू नही मुस्लिम नही बस   इन्सान ही हो तुम  "
तो उस के लिए तो  तुम्ही  खुदा हो और भगवान ही हो  तुम ....................

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