बुधवार, 24 जून 2020

रिश्तों की जिल्दों को बिखरने न दिया !

वक़्त की शाख पे टूटे जो उम्मीद कभी,
खुद की उम्मीदों को कभी गिरने न दिया ,
हजार बार खुद गिरा ,खुद को उठाया मैंने ,
सफ़र में खुद को कभी भी बिखरने न दिया !
कभी खुद की जिद में तोडा खुद को बहुत ,
जिन्दगी की धुप ने अक्श को निखरने न दिया ,
"माहिर " जीता नही जिन्दगी किताबों की तरह ,
पर जिन्दा रिश्तों की जिल्दों को बिखरने न दिया !

"चमन- बहार" रिव्यु


"चमन- बहार"
रिव्यू

सबसे पहले बात कर लेते हैं ,फिल्म के नायक की ही ।

वेब सीरीज के इस दौर में,चाहे कोटा फैक्टरी के जीतू भईया हों या फिर पंचायत के सचिव जी , एक्टर  के रूप में अपने संजीदा अभिनय का लोहा मनवाते हुए जितेंद्र कुमार यह लगातार साबित कर रहे हैं, कि वे इस समय में डिजिटल परदे के जितेंद्र साबित हो रहे हैं।
इस कड़ी में चमन बहार के बिल्लू बन के वह अपनी दावेदारी और मजबूत कर रहे हैं।  

रिंकू जो किसी अधिकारी की बेटी होती है ,वो जब एक गाँव से सटे कस्बे में अपने पिता के साथ शिफ्ट होती है, तो गाँव -कस्बों  के कितनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनती है । यह कहानी रिंकू ( रीतिका बदलानी ) के प्रेम में पड़े तमाम लफंडर,नेता टाइप और टपोरियों के आशिक मिजाजी की कहानी भी है। 



मुकम्मल प्रेम की कहानियाँ तो जमाने से कही जाती रही है, लेकिन अधूरे प्रेम की कहानी कहना हमेशा से ही थोड़ा चैलेंजिंग रहा है।
चमन बहार भी ऐसे ही प्रेम की एक कहानी है , जिसे आप अपने अंदर होते हुए महसूस करते हैं।  फिल्म देखते हुए आपके अंदर का बिल्लू कई बार जगता है। 

आप अगर गाँव से हों या शहर से, आप इस कहानी को अपने अंदर महसूस कर पाते हैं, अगर गाँव के हों तब तो समझिये आपकी जाने कितनों पलों की गवाही की कहानी को ही कह दिया है बिल्लू ने। 

जमाना चाहे कितना भी बदल जाए, प्रेम का रूप कस्बों और कुछ   इलाकों में उतना पेशेवर नहीं हुआ है, इस बात की गवाही है चमन बहार। एक तरफ़ा  प्रेम की इस कहानी में प्रतिस्पर्धा, जलन, इर्ष्या को दिखाना सबसे कठिन काम होता होगा शायद, लेकिन इसे जितने मजेदार तरीके से दिखाया गया है, कि आपको नायक के प्रति प्रेम हो जायेगा। 

प्रेम के एक दौर में जहाँ पत्थरों पर दिल में तीर मार के दर्शाने का रिवाज, हाथों पर नाम गुदाने का जुनून और किसी के प्रति भावों को एक लम्बे समय तक लेके चलने का जुनून जब ग्रीटिंग पर लिखे नाम में बदलने लगता है यह, कहानी उस दौर की है। 
यह उस दौर की कहानी है जब आप स्कूटी का पीछा एवन साईकिल से कर देते हैं। 

प्रेम हासिल न  होने पर प्रेम का हसीन दौर कैसे  दौरे और पागल पन को छु बैठता है ,यह गाथा उसे दौरे का भी है। 

छोटू और सोमु दो पात्र आपको हर शहर हर गाँव और कस्बे में मिल जायेंगे जो  शिला भईया और आशु भइया के साथ कहानी को आगे बढ़ाते हैं। 


क्या बिल्लू को उसका प्रेम हासिल हो पाता है ? 
क्या रिंकू भी बिल्लू को चाहती है ? शिला भईया और आशु की लड़ाई में जीत किसकी होगी? 

क्या चमन में बहार आ  पाती है ?  बिल्लू का प्रेम कस्बों के तमाम की लड़कों की तरह दम तोड़ देता है, रिंकू की याद दे जाता है या फिर चमन में बहार कायम रहती है?? 

यह जानना है तो देखिये "चमन- बहार"

आपका दिया हुआ एक घण्टा इक्यावन मिनट आपको एक नई दुनिया में ले जायेगा, गारंटी है.. 

तो देख डालिए.. अभी के अभी..