शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

ख्वाहिश है

ख्वाहिश  है ,
कि तुम फूल बन जाओ,
मै कांटा  बन जाऊं ,
तुम अँधेरा बन जाओ ,
मै सन्नाटा    बन जाऊं
ख्वाहिश  है,
कि तुम गीत बन जाओ ,
मै संगीत बन जाऊं ,
तुम प्रीत बन जाओ ,
मै तुम्हारा मीत बन जाऊं ,
 
ख्वाहिश  है ,
तुम सवाल बन जाओ,
मै जवाब बन जाऊं ,
तुम नींद बन जाओ ,
और मै ख्वाब बन जाऊं ,
 
ख्वाहिश है .
कि तुम्हारे   नर्म पांव   ,
कभी काँटों पे पड़े ,
कभी तुम्हारे  धडकन की आहट,
मरे हृदय के सन्नाटे  पे पड़े ,
 
ख्वाहिश है ,
तुम्हारे पांव को छू के ,
मेरे कांटे निकालने की सिहरन ,
तुम्हारे अंतर्मन तक पहुंच जाये ,
और मन से उठे गीत,
तुम्हारे हृदय को स्पर्श कर जाएँ,
और हम तुम्हारे मनमीत हों जाएँ !!!!

ख्वाहिश है,
कि तुम हाथों में हाथ रखो,
और हम सफ़र पे चलते हुए खो जाएँ,
तुम्हारी गोद हो ,और उँगलियाँ बालों में हों,
और  बस उनींदी सी  नींद के आगोश में हम सो जाएँ !!

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