एक दिन दु:शासन से मुलाकात हुई मेरी ,
बेबस और परेशान था जब उससे बात हुई मेरी ,
क्या हुआ दुशासन क्या नही करते अब तुम चीर हरण ,
क्या अब नही करते तुम किसी अबला का वस्त्र हरण ,
दुशासन मायूस हुआ और मुझसे बोला
अपने ह्रदय में कैद भावों को उसने खोला ,
हम अब कसी कौरव दरबार में जाएँ ?
वस्त्र वाली द्रौपदी अब हम कहा से लायें ?
बेबस ,अबला, बलहीन अब कहा रही है नारी ?
कहाँ रही अब पहले जैसे वो बेचारी ?
वस्त्रों से प्रेम अब उसे कहाँ जचा है ?
उसके तन पे वस्त्र अब कहाँ बचा है ?
कृष्ण बन भगवान कहाँ दरबारों में जाते हैं अब ?
अर्जुन-युधिष्ठिर ही बेच द्रौपदी को बाजारों में आते हैं अब ..
अगर कुछ नारियों कि बात मै छोड़ देता हूँ
तो बाकियों को देख मै शर्म से मुह मोड़ लेता हूँ ,
हे नारी ! नग्नता के पास तू जितनी जाएगी
नारायणी का अपना पूज्य रूप अपना खो जाएगी
"देख आज दुशासन को भी तुम्हारी चिंता सताने लगी है
आज का तेरा रूप देख उसे भी शर्म आने लगी है ..."
बेबस और परेशान था जब उससे बात हुई मेरी ,
क्या हुआ दुशासन क्या नही करते अब तुम चीर हरण ,
क्या अब नही करते तुम किसी अबला का वस्त्र हरण ,
दुशासन मायूस हुआ और मुझसे बोला
अपने ह्रदय में कैद भावों को उसने खोला ,
हम अब कसी कौरव दरबार में जाएँ ?
वस्त्र वाली द्रौपदी अब हम कहा से लायें ?
बेबस ,अबला, बलहीन अब कहा रही है नारी ?
कहाँ रही अब पहले जैसे वो बेचारी ?
वस्त्रों से प्रेम अब उसे कहाँ जचा है ?
उसके तन पे वस्त्र अब कहाँ बचा है ?
कृष्ण बन भगवान कहाँ दरबारों में जाते हैं अब ?
अर्जुन-युधिष्ठिर ही बेच द्रौपदी को बाजारों में आते हैं अब ..
अगर कुछ नारियों कि बात मै छोड़ देता हूँ
तो बाकियों को देख मै शर्म से मुह मोड़ लेता हूँ ,
हे नारी ! नग्नता के पास तू जितनी जाएगी
नारायणी का अपना पूज्य रूप अपना खो जाएगी
"देख आज दुशासन को भी तुम्हारी चिंता सताने लगी है
आज का तेरा रूप देख उसे भी शर्म आने लगी है ..."
1 टिप्पणी:
nice one bro
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