वो मूरत कैसी थी ?
वो जाने कैसा था पत्थर ?
वो सूरत कैसी थी ?
इसका ना मिला उतर ,
वो आँख कैसी थी?
वो थी कैसी चमक ?
वो खुशी कैसी थी ?
सुन खो गयी दमक .
वो सवाल कैसे थे ?
वो जवाब कैसे थे ?
वो हाल कैसे थे ?
सुन बेहाल हों गये .
उसके कुछ सवालों के,
मैंने ढूढे जवाब खूब ,
अपने सवालों में,
मै उलझा रहा खूब ?
बस इन सवालों से ही ,
चल रही है जिन्दगी,
गम की सेज पे मुस्कुरा के ,
पल रही है ये अभी !!
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