आदमी की फितरत कुछ इस कदर हो गयी है आज ,
आदमी को पुजोगे ,वो देवता हो जायेगा।
आदमी को पुजोगे ,वो देवता हो जायेगा।
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कुछ लोग मरते हैं तो मर जाने दो,
सियासत यूँ ही कहाँ रंग लाती है?
सियासत यूँ ही कहाँ रंग लाती है?
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एक दरिया है यहाँ पर, दूर तक फैला हुआ !
आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख !!
आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख !!
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