शुक्रवार, 19 जून 2020

सब बराबर चोर हैं

बाजुए कातिल में साहब ना किसी के जोर है,
गौर से तो देखिए जनाब, सब बराबर चोर हैं ,
भेड़ बनके भेड़िए,सियारों को सहला रहे हैं,
और उनकी मूर्खता पर मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं,
तुम ही मेरे रहनुमा हो,तुम सबके माई-बाप,
सफेदपोशों का नारा यूँ अब फिर घनघोर है,
नोट पे बिकते हैं वोट, चोट पे लगती है चोट,
खुद को सूरमा समझता है,जो सबसे कमजोर है!!