बाजुए कातिल में साहब ना किसी के जोर है,
गौर से तो देखिए जनाब, सब बराबर चोर हैं ,
गौर से तो देखिए जनाब, सब बराबर चोर हैं ,
भेड़ बनके भेड़िए,सियारों को सहला रहे हैं,
और उनकी मूर्खता पर मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं,
और उनकी मूर्खता पर मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं,
तुम ही मेरे रहनुमा हो,तुम सबके माई-बाप,
सफेदपोशों का नारा यूँ अब फिर घनघोर है,
सफेदपोशों का नारा यूँ अब फिर घनघोर है,
नोट पे बिकते हैं वोट, चोट पे लगती है चोट,
खुद को सूरमा समझता है,जो सबसे कमजोर है!!
खुद को सूरमा समझता है,जो सबसे कमजोर है!!