आज से लगभग दस साल पहले मैं अपने एक सह पाठी दीपक के साथ लगभग एक महीने फैजाबाद ( अब अयोध्या जिला) में था, और तब हर शाम को वहाँ से बुलेट से हम दोनों अयोध्या जाते थे और घाट पे जाते थे, वहाँ एक साधु थे जिनकी उम्र लगभग 90 वर्ष के करीब थी, उनके साथ घाट पर बैठ कर बात होती थी, वो बताते थे कि बेटा मैं लगभग 10 साल का था तो यहाँ आ गया और तब से यहीं हूँ..
अक्सर उनसे धर्म पर तमाम बातें होती थी, उनका रोज यही कहना होता था कि कैसे भी राम लला की उनकी जन्मभूमि पर मंदिर बन जाए तो यह जीवन सफल हो। वो वहीं बगल के मंदिर में रहते थे, दो तीन साल बाद हम लोग गए तो पता लगा उनका देहांत हो गया और शायद उनका सपना अधूरा रह गया। आज का दिन उन जैसे तमाम लोगों के सपनों के लिए एक अच्छा दिन है.. जिनकी आँखे इस दिवस को बिना देखे ही चली गयीं। आज ऐसे तमाम लोग जिनकी आस्था राम में और सनातन धर्म में प्रगाढ़ हुई होगी।
आपके और हमारे तमाम मतभेद हो सकते हैं, व्यक्ति के तौर पर मन भेद भी हो सकते हैं..राजनैतिक स्तर पर तनातनी जरूर हो सकती है, संविधान के नाम पर लड़ाई हो सकती है... अपने ज्ञान के स्तर पर बहस भी हो सकती है..
लेकिन जब आप किसी धर्म को मानते हैं, धारण करते हैं, तो उसमें धर्मकार्य के साथ चलना ही शास्त्र संगत है .. धर्म की परिकल्पना विचारों से उपर है, धार्मिक तरीके से अगर अपने, जन्म, विवाह, मृत्यु आदि के समय आप पूजा पाठ करते हैं तो सिर्फ इस वजह से कि आप अपना विरोध कायम रखें, आज के दिन को खराब कर रहे हों, ये बहुत अच्छी बात नहीं है..
आपकी नाराजगी मोदी से हो सकती है, लेकिन श्री राम से नहीं होनी चाहिए.. कारण तमाम हो सकते हैं , लेकिन उस ईश्वर को आप कैसे नहीं मान सकते जिसके सामने प्रधानमंत्री साष्टांग हो जाता हो... प्रभु सब के तारन हार हैं, चाहे राजा या रंक..
जो यहाँ का हो और उसको ही किसी लुटेरे या किसी अन्य देश के आततायी से अपनी जगह लेने में लगभग पाँच सौ वर्ष लग गए हों और तब वह दिन आखिर मे आया हो और तब आप अपने तर्कों से उस दिन के उत्सव को समझ नहीं पा रहे हैं तो या तो आप को धर्म की शिक्षा कम प्राप्त है या फिर आप का तर्क आप पर भारी है... या फिर उन तमाम बुरे लोगों की श्रेणी में आप अपने आपको खड़े करने की कोशिश में हैं जो उस वक्त रहे होंगे जब आज से पांच सौ साल पहले श्री राम से उनकी जमीन छीन ली गयी होगी।
पूजा किसी ने की हो, पार्टी कोई हो, शिलान्यास किसी ने किया हो, फायदा घाटा किसी का हुआ हो या होगा .. भूमिपुजन राष्ट्र के मुखिया ने शास्त्रसमत नियमों से किया हो तो फिर इस बेहतर क्या हो सकता है...
आज का दिन एक शुरूआत है उन तमाम लोगों के लिए जिनकी राम में आस्था है, आज का दिन किसी को उसकी अपनी जमीन वापस पाकर अपने लिए घर की नींव रखने का दिन है..
आज राम का दिन है, सबके अपने राम का दिन है..
और कोर्ट के चक्कर लगा के उस वकील के आराम का दिन है जिसने अपनी उम्र ख़फ़ा दी इस दिन के लिए.. उन तमाम लोगों के लिए सुकून का दिन है, जिनकी महत्वाकांक्षा राजनैतिक या व्यक्तिगत रूप से इस धर्मार्थ कार्य से जुड़ी रही..
एक बार फिर से. उन तमाम लोगों को नमन जिसने इस ईश कार्य हेतु अपने प्राणों की आहुति दी..
अब ईश्वर से ये प्रार्थना कि प्राणियों में सद्भावना हो, व्यक्ति का व्यक्ति के प्रति द्वेष कम हो...
जय श्री राम...
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