समंदर
चीखता है,
हुँकार भरता है,
थपेड़े देता है
और सहता है,
जहाज
चीर देता है,
समन्दर को,
उसकी गहराई को,
समन्दर के दम्भ को,
लहर
उठने के घमंड में,
हर बार लौट जाता है,
टकराकर किनारे से,
शोर मचाते हुए शांत पड़ जाता है
बस समंदर, जहाज और लहरों
का यही अनवरत युद्ध ,
समन्दर को उसके ,
समन्दर होने के एहसास
को जिंदा रखने की मजबूती देता है..
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