अजायबघर है एक,
इंसान है उसमें ,
सजा कर रखा हुआ सामान,
विस्तृत अभिव्यक्ति की खामोशी,
सुना सा स्वप्न,
सन्नाटे में,
अंधियारे में ,
डूबा हुआ रास्ता ,
पथिक थक भी नही सकता,
रुक भी नहीं सकता,
चल भी नहीं सकता,
करीने से सजे हुए ,
कतारों के बिखर जाने के डर से,
रुका है ,
शांत है,
विश्रान्त है,
काश टूट जाये ये ख़ामोशी !
शीघ्र !
ताकि इंसान अजायबघर से बाहर,
निकल आये ,
और इंसान हक़ीक़त का इंसान हो जाये !!
इंसान है उसमें ,
सजा कर रखा हुआ सामान,
विस्तृत अभिव्यक्ति की खामोशी,
सुना सा स्वप्न,
सन्नाटे में,
अंधियारे में ,
डूबा हुआ रास्ता ,
पथिक थक भी नही सकता,
रुक भी नहीं सकता,
चल भी नहीं सकता,
करीने से सजे हुए ,
कतारों के बिखर जाने के डर से,
रुका है ,
शांत है,
विश्रान्त है,
काश टूट जाये ये ख़ामोशी !
शीघ्र !
ताकि इंसान अजायबघर से बाहर,
निकल आये ,
और इंसान हक़ीक़त का इंसान हो जाये !!