जिस तरह फेसबुक ना हो तो जन्मदिन का ध्यान नहीं रहता वही हाल अलग- अलग दिवस का भी है,और हिन्दी दिवस भी इससे अलग नहीं ! हम अँग्रेजी से इतना ग्रस्त हो गए हैं कि हिन्दी हमारे लिए या तो मजबूरी है या फिर कमजोरी ! हम लोगों में से ज्यादातर लोग हिन्दी बोलते हैं , क्योंकि बहुत लोग अंग्रेजी समझ नहीं पाते , साथ ही साथ इंग्लिश कोट-पतलून की भाषा है ,जबकि हिन्दी धोती-कुरता की भाषा है !
हिन्दी भाषा का आलम ये है कि हमारे सामने आकर कोई थोड़ा सा आत्मविश्वास दिखा कर दो चार लाइन गलत इंग्लिश क्या बोल दे ,हमारी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है ! और इस डर से कि 20 साल पढ़ा हुआ संज्ञा-सर्वनाम हमारा विशेषण ना बन जाये , इस डर से हम ओके ,यस ,नो या फिर या या या करने लग जाते हैं !
यही नहीं बदलाव का आलम ये है कि हिन्दी भाषी क्षेत्रों के शिक्षा पदाधिकारी हो या इन क्षेत्रों के भाषा विज्ञानी या फिर अध्यापक और प्रध्यापक उनमें भी गलत अँग्रेजी बोल के अंग्रेजीदाँ दिखने की कोशिश के लिए होड़ लगी रहती है ! और लिखने का आलम ये है कि एक पेज के हिन्दी में नोटिस में अधिकारियों के द्वारा 10 गलती तो सामान्य बात हो गयी है !
हिन्दी बोलिये या नहीं बोलिये , हिन्दी समझिए या नहीं लेकिन हिन्दी को श्रधांजलि देने का उपक्रम कम से कम वो लोग तो ना करें जो इस हिन्दी की रोटी खा रहे हों !
हिन्दी सिनेमा का ही हाल देख लें सबसे ज्यादा बेइज्जती वहाँ हिन्दी की ही होती है , करोड़ों लगा के करोड़ों कमाने का सिलसिला हिन्दी भाषा में ही चल रहा होता है, लेकिन ना वहाँ किसी साक्षात्कार में ना ही स्क्रिप्ट में ही हिन्दी का विशुद्ध रूप इस्तेमाल किया जाता है ! कम से कम देवनागरी और हिन्दी अगर आपकी रोजी रोटी है तो कम से कम उसके प्रति अपना प्रेम तो जरूर ही दिखाएं !
खैर तमाम दिवस की तरह आज का दिन भी कुछ गोष्ठियों और सम्मेलनों के माध्यम से पूर्ण हो जाएगा लेकिन हर बार की तरह इस बार भी हिंदी ठगी जाएगी !
और हाँ हिन्दी के लेखकों और लेखिकाओं तक में हिन्दी बोलना उनकी तौहीन मानी जाती रही है , ना विश्वास हो तो जहाँ भी पुस्तक मेले लगें वहाँ घूम आइये आपकी अपनी हिन्दी वहाँ किसी कोने में दुबकी और सहमी नज़र आ जायेगी !
विशेष कि आप सबको हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं !