जलजला है चारों तरफ ,
एक टूटा हुआ मकान बाकी है,
लगा के टोपी , लगा के टीका ,
कुछ लोगों की दुकान बाकी है,
भूख से मर गए कुछ लोग भी,
अब भी क्या एहसान बाकी है ?
एक तरफ सन्नाटा है,खामोशी है,
अभी कब्र और शमशान बाकी है,
आदमी आदिम हुआ जाता है,
आदमी- आदमी नहीं रहा,
ताज्जुब है आप कहते हो ,
साहब !
आदमी में अब भी इंसान बाकी है ?
एक टूटा हुआ मकान बाकी है,
लगा के टोपी , लगा के टीका ,
कुछ लोगों की दुकान बाकी है,
भूख से मर गए कुछ लोग भी,
अब भी क्या एहसान बाकी है ?
एक तरफ सन्नाटा है,खामोशी है,
अभी कब्र और शमशान बाकी है,
आदमी आदिम हुआ जाता है,
आदमी- आदमी नहीं रहा,
ताज्जुब है आप कहते हो ,
साहब !
आदमी में अब भी इंसान बाकी है ?