गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

मौत के बाद का सन्नाटा :

अचानक से बम का धमाका होता है , और हजारों चीखों के साथ ही कुछ जाने चली जाती हैं ....और फिर शुरू हो जाता है सिलसिला कहने का , बोलने का , लिखने का ....अख़बारों के लिए रिपोर्ट मिल जाते हैं, और न्यूज़ रूम्स के लिए विडिओ फूटेज .....और उनका क्या जिनके घरों के चलचित्र हमेशा के लिए रुक गये ...हाँ दो लाख रूपये मिल गये या फिर पचास हजार या फिर किसी को नौकरी।। मानो  मरने वाले ने किसी फिल्म में काम किया हो और उसका मेहनताना दिया जा रहा हो ....या फिर किसी घर के चिराग को बुझने की कीमत हो दो-चार  लाख रूपये ..या किसी के सुहाग के उजड़ने की कीमत हो ...या फिर किसी बच्चे से उसकी माँ या माँ से बच्चे को छीन  लेने के बदले में उसे आंसू पोछने के लिए कुछ कागज के नोट थमाए जा रहे हों ......लेकिन कागज के टुकड़ों से आंसू नही पोछे जा सकते ..ये जाने क्यूँ नही समझ आता सिक्के के ढेर पर बैठे हुक्मरानों को ....क्या इन हुक्मरानों के  अपने घर का कोई मरता तो भी  उसकी कीमत इतनी हो होती ???  नही तब तो दो दो लाख के तो गुलदस्ते चढ़ जाते .....
   ...अचानक से आवाज होती है और चीख बन जाती है ...और ये चीख बम फटने की जगह से अदालत में चले  जाते हैं और सिसकते हुए ये दम  तोड़ देते हैं .....और मरने वाले के घर के लोग  न्याय की तलाश में रहते हैं ......उस गलती के लिए न्याय जो कि  उसने किया ही नही .......
और सफेदपोशों की पर्दादारी तो देखिये ...उन्हें तो ये पता भी होता है कि  बम फटने वाला है फिर भी वो इन्तजार करते हैं ,कि  जब फट जायेगा तब आयेंगे हम परदे  से बाहर ...ट्विट  करने ...या फिर प्रेस कांफ्रेंस करने ......क्यूंकि पिछली बार ये मौतें  और चीखें नही थी तो एक दुसरे को गाली  देकर इस राष्ट्रीय  मुद्दा बनाया गया था ...........और संविधान और कानून  की किताबें  ..वो तो सफेद चादरों में जाने कब की रखैल बन के रह गयी है !!...और फिर छा  जाता है सन्नाटा कुछ देर के लिए ....जो की टूटेगा फिर से या तो चीखों के बाद या फिर चुनावों के तेज शोर से !!