पक तो गये होंगे आप
सबको यह लग रहा होगा कि भाई जुर्माना लगने पर इतना पगलाने की क्या जरुरत तो कुछ बात समझने वाली है:-
मैने जब देखा कि पटना के पुल पर एक बुजुर्ग को इन नियमों की वजह से कोई सिपाही लगातार थप्पड मार रहा तो नफरत हो गयी इस सिस्टम से और जो लिख रहा हुँ आहत होकर लिख रहा हुँ! और अब इस पर लिखूंगा भी नहीं क्युंकि मुर्दों के देश में गुंगे और बहरों की ही जरुरत है।
खैर
1.आप किसी भी शहर में रहते हों किसी दिन घर से जरुरी काम से निकले और चौराहे से थोड़ी दुरी पर गये कि आपको साइड कर दिया जायेगा, आप अपना हेलमेट लगाए हुये देखियेगा, VIP के नाम पर कुछ गुंडे टाइप लोगों के साथ अगली सीट पर आपके इलाके के सांसद महोदय या विधायक बिना बेल्ट लगाये आगे बढेंगे और पीछे बिना हेल्मेट लगाये झण्डी लगाये उनके समर्थक ! और वही पुलिस वाले लोग जिनसे डर के और ज्यादा तर अपनी सुरक्षा में हेल्मेट लगाये आप खड़े होंगे उनको सैल्युट करेंगे और थोड़ा ज्ञान दिजियेगा उन लोगों को भी कि ये सुरक्षा के लिये है , भाई साहब अगर उन्होने आपका थोबडा का ईलाज ना कर दिया तो कहिएगा।
और फिर आप उन्हीं की वजह से ऑफ़िस लेट जायेंगे, वहाँ आप कोई ज्ञान नहीं दे पायेंगे।
गुस्सा नहीं , सोचिये जरा जुर्माना आप ही भरेंगे वो नहीं।
गुस्सा नहीं , सोचिये जरा जुर्माना आप ही भरेंगे वो नहीं।
2. आपको किरण बेदी कहीं ना मिलेंगी जो इन्दिरा गाँधी का चालान काट दे।
3. MP/VVIP लिखा होगा तो राष्ट्रपति भवन के सामने से निकल जाईये बिन सीट बेल्ट लगाये कोई देखते हुये भी नहीं बोलता है और वहाँ मरने वाला डर का ज्ञान नहीं देता कोई ।
यह खुद का अनुभव है मेरा।
यह खुद का अनुभव है मेरा।
4. और जो पहले सीट बेल्ट लगाते थे वो अब भी लगाते हैं लेकिन पहले टारगेट मिलने पर पुलिस पेपर वालों को छोड देती थी अब उन पर खतरनाक driving का कानुन लगा देगी। और आप के पास कोई मीटर नहीं होगा यह साबित करने को।
5. अभी 2-4 दिन हुआ है और आपको पुलिस का लोगों को मारने पीटने का वीडियो हर तरफ दिख रहा है यह कम जुर्माने के समय में नहीं था या था तो कम था।
6. आप युरोप में नहीं रहते कोई, आप कई ऐसी जगह रहते हैं जहाँ एम्बुलेन्स नहीं पहुंचती, कल्पना किजिये रात को अचानक से आपके पिता /माता/ बहन/भाई किसी की तबियत खराब हो गयी, और आप और आपका कोई भाई मरीज को बीच में रख के ले जा रहे ये भी मान लिजिये कि सबने हेल्मेट लगा लिया तो वहाँ अचानक से आपको पुलिस ने रोका आपने अपनी बात बतायी।
अगर वो दयावान निकला तो ठीक वरना आप 5000 का फ़ाइन देंगे या दवा का पैसा देंगे।
7.कल अगर कोई आटो वाला आपसे 10 किलोमीटर के 10 हजार माँग ले तो गुस्सा मत करियेगा, क्युंकि रोज का दो हजार कमा कर वह किसी सिरफिरे SI या हवलदार जब उसे 30 हजार का जुर्माना लगायेगा तो नहीं भर पायेगा। और दिल्ली में रहने वाल आटो वालों से पूछियेगा वो सच बता देंगे आपको कि उन्हे कब कब और कहाँ जुर्माना भरना होता है।
साहब आप ज्ञान देते हैं पेपर बना के रखिये हेल्मेट लगा के रखिये कि सब कुछ ठीक हो जाये लेकिन यह ज्ञान आप पर नहीं सामने वाले उस सफेद या खाकी के मूड पर पहले भी निर्भर था अब भी निर्भर है।
और आप उस देश में हैं जहाँ अभी लोग जीने की लडाई लड़ रहे , गड्ढे में बसे देश में पहले ईमान की शिक्षा दिजीये, फिर इंसानियत की शिक्षा दिजीये। ऐसी स्थिति लाईये कि हर किसी को एक गाडी नसीब हो कि तीन को एक साथ चलने को मजबुर ना होना पड़े। हर गाँव तक बस की सुविधा किजिये।
और आप उस देश में हैं जहाँ अभी लोग जीने की लडाई लड़ रहे , गड्ढे में बसे देश में पहले ईमान की शिक्षा दिजीये, फिर इंसानियत की शिक्षा दिजीये। ऐसी स्थिति लाईये कि हर किसी को एक गाडी नसीब हो कि तीन को एक साथ चलने को मजबुर ना होना पड़े। हर गाँव तक बस की सुविधा किजिये।
और नहीं तो भाँग पी कर नियम ना बनाईये।
जहाँ फ़्री में जन धन योजना खुलवाने का नियम चला के मूर्ख बनाये उसी मूर्ख जनता से 5000-10000 हजार का फ़ाइन लगा के सबित क्या करना है।
जहाँ फ़्री में जन धन योजना खुलवाने का नियम चला के मूर्ख बनाये उसी मूर्ख जनता से 5000-10000 हजार का फ़ाइन लगा के सबित क्या करना है।
उनके सुरक्षा की चिन्ता तब कहाँ मर जाती है जब बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन से बचे मर जाते हैं, मुखमरी और कुपोषण से लाखों लाशें बिछ जाती हैं।
कितने करोड का जुर्माना लगना चाहिये जब 72 की सीट पर 700 लोग यात्रा करते हैं और किस पर?
सांसदो विधायकों मन्त्री संत्री के ट्रेन- प्लेन में चलने और उनके जीने का खर्च कब तक जुर्माने के रुप में हमसे वसुलोगे?
सिर्फ इसलिये कि आपको हमने/सबने बहुमत दिया आप हमारा खून निकाल लेंगे?
सिर्फ इसलिये आप हमारा गर्दन दबायें और हम आपको शाबाशी दें कि आपको हमने वोट दिया है।
और इन आततायियों के फरमानो की तारीफ़ करने वालों के लिये प्रार्थना है
भगवान ना करे कभी रगड़े जायें और ज्ञान हो जाये।
भगवान ना करे कभी रगड़े जायें और ज्ञान हो जाये।
पटना के उस बुजुर्ग के गले पर पुलिस वाले की उंगलियों के निशान क्या कभी मिट पायेंगे उनकी जगह अपने बाबु जी या खुद को रखें और सोचें।
बस यही।
बस यही।