हेल्लो ऐ, हेल्लो हेलो...एसी मे नहीं मिला तो सलीपरे में चढ गये,तनिको भीडे नही नु है,आ कवन दु चार घनटा के ही बात है जी, चल ही आयेंगे, ना त फलाइटे से चल आते,लेकिन का जिआन करे के है पईसा। इहें टीटी को दे देंगे दु चार सौ तो बनाइये न देगा एगो सीट का जोगाड़। ये सज्जन दिख रहे भारत के जागरुक व्यक्ति हैं जो भारतीय व्यापार की दशा दिशा से वाकिफ लगते हैं।
कुछ यूँ ही जद्दोजहद चल रही है कि सामने एक और आत्मा हैं उनका मानना है कि वह वास्तु के परकाण्ड जानकार हैं , वो भी पीछे क्युं रहते "अरे का बतायें जी काल्हे गये थे बम्बे एगो चेला का घर का बासतु देखे , का घर बनाया है पाठा, साला बहुत सेवा किया हमरा। हमरा आज ना आना होता तो जरुरे फ्लाइटे से आते। "
और कुछ इस तरह स्लीपर का इन्सान फलाईट में भागना चाहता है। लेकिन ट्रेन अब धीरे -धीरे जमीन पर बढ़ती हुई लखनऊ से बाराबंकी पहुँच गयी है।
एक युवक फोन अपने मुँह पर ( कान पर नहीं) लगा के बोलता है , ए पप्पा सुन हो इडमिसन त हो गईल अब नेक्स्ट सनडे के केम्पस आवे के बा, ओरीनटेसन बा।
जरुर पापा अपने बेटे के इस तरह बबुआ से सन(SON) होने पर सीना चौडा कर लिये होंगे और सुबह स्टेशन पर बजाज प्लेटिना के साथ ट्रेन से उतार कर जुड़ा जायेंगे।
एक युवक फोन अपने मुँह पर ( कान पर नहीं) लगा के बोलता है , ए पप्पा सुन हो इडमिसन त हो गईल अब नेक्स्ट सनडे के केम्पस आवे के बा, ओरीनटेसन बा।
जरुर पापा अपने बेटे के इस तरह बबुआ से सन(SON) होने पर सीना चौडा कर लिये होंगे और सुबह स्टेशन पर बजाज प्लेटिना के साथ ट्रेन से उतार कर जुड़ा जायेंगे।
सफर है ऐसे ही चलता है, ख्वाबों के साथ , मंजिल की तलाश में।