गुरुवार, 11 जून 2020

किसानों से एक निवेदन


------------------------------
हे किसान ऑफ भारत, एक किसान पुत्र होने के नाते मैं कुछ कहना चाह रहा हूँ ! इस आज़ाद भारत को आप अपने लिए आज़ादी मत मानिए ! पहले आप नील उगाते होंगे अब कुछ और उगाते हैं, लेकिन अपने हालात को लेके किसी से भी उम्मीद मत पालिये !
अगर आप को आन्दोलन करना है तो आप जहां भी हैं वहाँ से ही आंदोलन करें ! किसी नेता के कहने पर ट्रक और बस में लद के आप दिल्ली ,लखनऊ, पटना अहमदाबाद में लाठी उठाये चले आते हैं , और दूसरे नेता के कहने पर आप लाठी खा कर वापस चले जाते हैं !
हो सकता है, आपको इस एक दिन के लिए 200-300 रुपये मिले होंगे लेकिन जब आप वापस जाएंगे तो सवारी के अभाव में आप को उनमें से कुछ पैसे रास्ते में देना पड़ जाए !
आप जंतर मंतर पर न जाएं ना ही रामलीला मैदान ही क्योंकि दिल्ली के ये सब जगह आपके धरना नहीं ,आपके मंत्री संतरी लोगों के लीला के लिए बना है ! दिल्ली ही आना है तो किसान बन के नहीं आये , आप किसी पार्टी से जुड़ के आएं या केसरिया या हरा झंडा उठा कर आएं , और देखें फिर कहाँ हिम्मत है जो कोई दिल्ली में आपको घुसने से मना कर दे !
आप किसान हैं , और आप ज्यादा ही गम्भीरता से लेते हैं जय जवान, जय किसान वाले नारे को ! और आप ही सबसे ज्यादा बेचैन रहते हैं अपने बेटे को सेना के जवान बनाने को ,जिसे मजबूरी में नौकरी बचाने के लिये अपने आलाकमानों के आदेश से मजबूर आपके ऊपर पानी बरसाना पड़ता है ,गोली दागनी पड़ जाती है ! वो भी क्या करे उनमें से कुछ घर जाके अफसोस जरूर करते होंगे !
आप अपने धोती को जितना मैली करेंगे ,आपके हुक्मरानों के कुर्ते उतने ही सफेद होंगे !
आप आंदोलन करिए जैसे महराष्ट्र में किसान मजबूरी में किये थे , परेशानी सहिये , और सिर्फ उतना ही अन्न पैदा कीजिये जो सिर्फ आप के काम आए ! बाजार में मत बेचिए , फिर वो सारे बुद्धिजीवी सरीखे परजीवी जो आपको गुंडा मवाली बदमाश साबित करने पर तुले हैं , निवाले को तरसेंगे और तब आपकी भूख की कीमत , आपके जलती पीठ, जाड़े में कांपते पानी में डूबे घुटनों की सिहरन उन्हें उनकी कानों को महसूस होगी !
मैं जानता हुँ ये आसान नहीं है ,लेकिन इतना जरूर जानता हूँ कि आप तब भले ही बीमारी से मर जाएं , लेकिन खाद के लिए लिए गए कर्ज से , पुलिस के डंडे से , आत्महत्या से , फसलों के सुख जाने को देखते हुए दर्द से नहीं मरेंगे !
क्रमशः

कोई टिप्पणी नहीं: