बुधवार, 10 जून 2020

अहले शहर की बातें,

कुछ भी नहीं बुरी हैं,
इस अहले शहर की बातें,
यूँ शाम के तराने,
यूँ घनी रातों की बातें,
कुछ लोग हैं जो बाकी,
अपने से इस शहर में,
अपने से थे वो खूब ,
क्यूँ अब होने लगे बेगाने ,
यूँ शाम ढल सी जाएगी,
यूँ सफर गुजर जाएगा,
एक बार सुबह जो हुई तो,
फिर सूरज निकल जायेगा ..

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