सिकन्दर का गुरुर भी यहाँ टूट के बिखरा,
सियासत दारों तुम ना बचोगे ऊँची दीवालों से !
हो जाओगे आखिर महरूम तुम भी निवालों से,
बस दो-दो हाथ नहीं करो, नग्न पाँव के छालों से !
सियासत दारों तुम ना बचोगे ऊँची दीवालों से !
हो जाओगे आखिर महरूम तुम भी निवालों से,
बस दो-दो हाथ नहीं करो, नग्न पाँव के छालों से !
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