मौत की आदत है साहब,
यही तो सियासत है साहब,
श्वेत कपड़े चमक रहे हैं,
लहू की होली खेल कर,
यही तो सियासत है साहब,
श्वेत कपड़े चमक रहे हैं,
लहू की होली खेल कर,
बड़ी भवन में मोल होगा,
गिने जाएंगी लाशें फिर,
बहस होगी, खेल होगा,
सच बोलेगा,उसे जेल होगा,
गिने जाएंगी लाशें फिर,
बहस होगी, खेल होगा,
सच बोलेगा,उसे जेल होगा,
कागजों में पैदा होकर,
कागजों में मर गए,
जो कुचलने से बचे,
रोत- बिलखते घर गए,
कागजों में मर गए,
जो कुचलने से बचे,
रोत- बिलखते घर गए,
हाथ जोड़े आएंगे वो,
दांत फिर निपोरेंगे,
आपकी फिर उँगलियों,
के छाप वो बटोरेंगे,
दांत फिर निपोरेंगे,
आपकी फिर उँगलियों,
के छाप वो बटोरेंगे,
आप यूँ मरते रहेंगे,
आप यूँ डरते रहेंगे,
आप जो ना सम्भले,
तो खेल वो करते रहेंगे
आप यूँ डरते रहेंगे,
आप जो ना सम्भले,
तो खेल वो करते रहेंगे
देश की बातें करेंगे,
राष्ट्र हित सिखाएंगे वो,
भाई का सड़क पे मरना,
आप फिर भूल जायेंगे,
राष्ट्र हित सिखाएंगे वो,
भाई का सड़क पे मरना,
आप फिर भूल जायेंगे,
देश तो सबको है प्यारा,
देश भक्ति कर्तव्य हमारा,
दया बस इतनी दिखा दो,
बस मुझको ये बता दो,
देश भक्ति कर्तव्य हमारा,
दया बस इतनी दिखा दो,
बस मुझको ये बता दो,
उसकी खातिर चौडी है छाती
सीमा पर जिसे दुश्मनों ने मारा
पर भूख से जो मरा सड़क पे
बताओ उसको किसने मारा ??
सीमा पर जिसे दुश्मनों ने मारा
पर भूख से जो मरा सड़क पे
बताओ उसको किसने मारा ??
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