मंगलवार, 16 जून 2020

एक दिन

एक दिन
बंद कर दिया हमने टीवी,
अचानक से लगा ,
नब्ज़ शांत पड़ने लगा,
मन परेशान और हैरान,
इतनी शांति से ,
दिल बैठा जा रहा था,
कोई कहीं चिल्ला नहीं रहा था,
कहीं कुछ महंगा नहीं था,
ना ही नमक में ,
आयोडीन की कमी थी,
ना पानी मे मिनरल्स की,
ऐसा पानी कौन पीता है,
बिना आयोडीन और मिनरल्स के,
कौन जीता है,
सामने वाली दीवार पर ,
हनुमान जी राम जी के पैर के पास,
हाथ जोड़े खड़े थे,
मकड़ी के जाले में मकड़ियां व्यस्त थीं,
जी और बैठने लगा,
बाहर निकला तो देखा आसमान में पक्षी थे ,
जैसे बचपन में उड़ते थे,
दिमाग मानने को तैयार नहीं था ,
कि ये पक्षी रोज उड़ते होंगे,
तभी आवाज हुई ,
लगा गली में कोई शोर है,
हृदय को लगा वापस कुछ मिल रहा है,
लगा कोई किसी को मार रहा है,
या फिर गाली दे रहा है ,
या फिर कोई किसी की बुराई कर रहा है,
लेकिन देखा तो कुछ नहीं था,
बच्चे खेल रहे थे कोई खेल,
दिल अब मानो बैठा जा रहा था,
हृदय से रक्त संचार रुकने को था,
इतना सन्नाटा बर्दाश्त नही हो पा रहा था,
कहीं पुराने अखबार भी नहीं,
कोई किताब नहीं ,
कोई उपन्यास नहीं ,
कैसे भी लड़खड़ाया उठा,
RO के बदले घड़े से पानी लिया,
सुकून नहीं मिला,
थोड़ा नमक मिलाया ,
सुकून नहीं मिला,
कहीं से कोई ख़बर नहीं,
और मुझे बिल्कुल सब्र नहीं,
काँपते हाथों से पुराना फोन उठाया,
डॉक्टर को नंबर मिलाया,
डॉक्टर आधे घण्टे में आया,
डॉक्टर ने कहा,
टीवी बंद क्यों है,
चार कंपनी की दवा दे रहा हूँ ,
खाइए,
और लीजिये ये चैनल देखिये,
टीवी ऑन हुआ,
डॉक्टर थोड़ा मौन हुआ,
मानो जीवन वापस आ गया,
मैं अपना हृदय स्पंदन वापस पा गया,
नब्ज़ की गति सामान्य हो गयी ,
टीवी पर प्राइम टाइम चल रहा था,
दो लोग आपस में चिल्ला रहे थे,
नीचे कोने में खबर थी ,
4 लोगों की भीड़ ने जान ले ली,
मैं RO खरीदने का मन बना रहा था,
और अपने स्मार्ट टीवी
और स्मार्ट फ्रिज और
स्मार्ट फोन की दुनिया मे वापस आ रहा था !

कोई टिप्पणी नहीं: