शुक्रवार, 5 जून 2020

जिन्दगी

जिन्दगी एक फिल्म की तरह से है,फुल एक्शन ,फुल ड्रामा !
कभी समझ नहीं आता कि हीरो कौन और विलेन कौन! कभी विलेन ही हीरो लगने लगता है कभी हीरो ही विलेन! हर समय अगले सीन में क्या होगा इसका अन्दाजा कई बार लगता है ,कई बार नहीं !
कोई बीन बजा रहा कोई पियानो! लेकिन फिल्म चल रही है, क्युंकि डायरेक्टर ने क्या लिखा है बस उसे पता है, बस ऐक्टिंग चल रही है!
आलम ये कि दर्शक को पता है कि दुश्मन कौन है, दर्शक को पता है कौन हमशक्ल होकर भी विलेन है, हीरो को नहीं पता! हीरो को तो पता ही नहीं चलता जब तक फिल्म खत्म न हो जाये!
फिल्मों का रोमांस और रोमांच वास्तविक जीवन में उतारते उतारते कब इंटरवल हो जाता है पता ही नहीं चलता!
फिल्म चलती है ,हीरो कई दौर से गुजरता है, लेकिन हीरो बस जी जान लगा के फिल्म को बेहतर क्लाइमेक्स देना चाहता है! हीरो अपनी कोशिश में है,विलेन अपनी जिद में हैं!
हिट या सुपर हिट ये तो फिल्म के खत्म होने पर पता चलेगा!
फिल्म खत्म होगी,परदा गिरेगा, तालियाँ बजेंगी, लोग हँसेंगे ,तालियाँ बजेंगी ! हीरो ,हीरो रहेगा , खुद नायक बनाये रखने की जिद में खलनायकों से युद्ध जारी रखेगा!
लाइफ पॉपकॉर्न और कोक के सामने से गुजरती है , फिल्म बदलती रहती है

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