बुधवार, 17 जून 2020

रेलगाड़ी

जाने कितनी स्वप्न साधना,
लेके चलती है रेलगाड़ी,
इन पहियों पर हजारों
ख़्वाब इधर से उधर होते हैं,
एक साथ ,
हजारों मिलन और विदा ,
के बीच का पड़ाव लिए ,
चलती है ट्रेन !
मंथर सी चाल !

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