जाने कितनी स्वप्न साधना,
लेके चलती है रेलगाड़ी,
इन पहियों पर हजारों
ख़्वाब इधर से उधर होते हैं,
एक साथ ,
हजारों मिलन और विदा ,
के बीच का पड़ाव लिए ,
चलती है ट्रेन !
मंथर सी चाल !
लेके चलती है रेलगाड़ी,
इन पहियों पर हजारों
ख़्वाब इधर से उधर होते हैं,
एक साथ ,
हजारों मिलन और विदा ,
के बीच का पड़ाव लिए ,
चलती है ट्रेन !
मंथर सी चाल !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें