शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

दाग !

जिन्दगी नही रुकेगी,
धमाके से !
चीखों से !
हृदय नही पसीजता ,
हुक्मरानों का !


गम, आंसू,दुःख  ,
सिक्कों के नही होते,
नोटों की सेज पर ,
जमीरों  के ख्वाब ,
नही आते !


और कायर ,
कभी नही बदला लेते ,
दोषियों से ,
सजा देते हैं ,
मूक बधिरों को ,
या फिर असहायों को,

बम नही रखे जाते ,
बड़े बंगलों में ,
या गोवा के किसी होटल में ,
या फिर ,
किसी चार्टड  विमान तक,
हिम्मत नही होती किसी की !

और प्रेस कांफ्रेस,
सुनने के लिए नही होते ,
कहने के लिए होते हैं ,
कि  गलती हमारी नही ,
गलती जिसकी है ,
उसको हम नही जानते ,
हम नही जानते की,
कितने और कौन मरा  है ,

हमने देखा थोड़े है,
भीड़ बढ़ रही है,
 तो लोग मरेंगे ,
जमीरें  गिरवी रखेंगे
 तो लोग मरेंगे ही !

इस बार जरा देखना ,
गौर से ,
किसी चुनाव में ,
वोट मांगने आने वाले ,
उस आदमी को  ,
हाँ शायद ,
क्यूँकि  दो पैर हाथ होते हैं उसके ,
और वो कुरता -पजामा पहन सकता है ,

देखना जरा गौर से,
हाँ ये देखना की
किसी औरत से वोट मांगते,
उसकी आँखों में क्या है,
देखना किसी भूखे ,
गरीब, नंगे से ,
वोट मांगते
उसकी आँखों में क्या है ,
और कोई सवाल नही करना,
क्यूंकि सवालों के जवाब ,
मिलने का डर  होगा ,
जीतने के बाद ,

खैर बिना कुछ कहे ,
 ये जरुर देखना कि ,
क्या सफेद कुरते पे कोई दाग है !!
और खुद को बताना !!




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